अनुपम खेर की पत्रकार ने बोलती बंद कर दी ट्विटर पर छिड़ी जंग दोनों के बीच
अनुपम खेर की पत्रकार ने बोलती बंद कर दी ट्विटर पर छिड़ी जंग दोनों के बीच तो अनुपम खेर ने चुप्पी साध ली|
तकरीबन 25 साल पहले कश्मीरी पंडितों की निर्मम हत्या को आतंकवादियों ने अंजाम दिया था उसी बर्बरता को लेकर जिन कश्मीरी पंडितों की जान गई थी अब तकरीबन 25 साल के बाद anupam kher को उनके श्राद्ध की याद आई तो वह वाराणसी पहुंच गए उन सभी कश्मीरी पंडितों की आत्मा की शांति के लिए पाठ कराने|
वाराणसी जाने से पहले खेर ने एक ट्वीट किया था
जिसमें उन्होंने लिखा था कि वह कश्मीरी पंडित जिनके साथ 25 साल पहले बर्बरता हुई थी और जिनकी जाने चली गई थी उन्हीं के की आत्मा की शांति के लिए वह वाराणसी जा रहे हैं उनका श्राद्ध कराने|
anupam kher के इस ट्वीट पर एक पत्रकार ने जवाब में ट्वीट पर लिखा कि वाराणसी आने से पहले आपको कश्मीर जाना चाहिए वहां के हालात बहुत खराब है वहां के गवर्नर से मिलना चाहिए कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा की बात करनी चाहिए| फिर महादेव के पास पंडितों की आत्मा की शांति के लिए पाठ करवाएं|
जवाब में anupam kher ने उस पत्रकार को लिखा कुछ आप भी कर लीजिए कश्मीरी पंडितों पर एक लेख लिखिए कि कैसे पिछले 35 सालों से कश्मीरी हिंदुओं के साथ आतंकवादी बर्बरता कर रहे हैं |उनकी माताओं बहनों के साथ रेप किया जा रहा है |आतंकवाद की भी बुराई कर लो जिनके श्राद्ध के लिए जा रहे हैं यह उन्हीं की गोलियों के शिकार हुए थे|
अनुपम खेर को जवाब में पत्रकार ने लिखा कि हम तो कश्मीर के हालात पर लिखते हैं लेकिन कश्मीरी पंडितों के साथ हुई बर्बरता के वक्त तत्कालीन सरकार को दोषी क्यों ना ठहराया जाए| आप की फिल्म कश्मीर फाइल्स मैं उस हिस्से को बड़ी चालाकी से छुपा लिया गया |आप की फिल्म से सिर्फ नेगेटिविटी फैली है पूरे कश्मीर में और पूरे देश में|
पत्रकार को आगे जवाब देने के बजाय anupam kher ने इस ट्विटर की जंग को यहीं पर समाप्त कर दिया और आगे उन्होंने इस पत्रकार को कोई जवाब नहीं दिया| वाराणसी पहुंचकर anupam kher ने त्रिमिंडी श्राद्ध कराया कश्मीरी हिंदुओं की आत्माओं की शांति के लिए जिन्हें आतंकवादियों ने अपनी गोलियों का निशाना बनाया था|
कश्मीर फाइल्स पर अभी भी चर्चा जारी है
विवेक अग्निहोत्री द्वारा बनाई गई फिल्म कश्मीर फाइल्स पर अभी भी चर्चा जारी है| पूरे देश में दो सोच है एक सोच कहती है कि जो कुछ भी दिखाया गया है वह कड़वा सच है |
वहीं दूसरी सोच का मानना है कि आखिर 25 साल के बाद जख्मों को कुरेद ने की क्या जरूरत थी |बहुत सारे लोगों का मानना है कि इस फिल्म के जरिए देश में माहौल एक बार फिर खराब हुआ है|
कई पत्रकारों ने विवेक अग्निहोत्री से सवाल किया कि अगर वह कश्मीरी पंडितों की भलाई के बारे में इतना सोचते हैं तो फिल्म ने जो तकरीबन 300 करोड़ से ज्यादा रुपया कमाया है उसमें से कितना पैसा वह कश्मीरी पंडितों के हित में लगाएंगे| इन सवालों से हमेशा विवेक अग्निहोत्री बचते आए हैं| कभी भी उन्होंने यह ऐलान नहीं किया जितना रुपया कमाया है उसमें से कुछ हिस्सा कश्मीरी पंडितों के वेलफेयर में दिया जाएगा|