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Hasrat Jaipuri Mohd Rafi का याराना

Hasrat Jaipuri Mohd Rafi का याराना मोहम्मद रफ़ी और हसरत जयपुरी के बीच एक शानदार याराना हुआ करता था दोनों ही एक दूसरे को बेहद पसंद करते थे और एक दूसरे की बेहद इज्जत करते थे/

हसरत जयपुरी ने मोहम्मद रफी के लिए एक गाना ऐसा लिखा इसके लिए उन्होंने पैसे लेने से इनकार कर दिया था/ वह गाना मोहम्मद रफी ने खुद हसरत जयपुरी से कहा था लिखने के लिए अपनी बेटी की विदाई पर/

जिस तरह बेटी अपने पिता की लाडली होती हैं और पिता उन पर अपनी जान निछावर करता है ठीक उसी तरह मोहम्मद रफी भी अपनी बेटी पर जान निछावर करते थे /जब वक्त आया बेटी की शादी का तो मोहम्मद रफी ने हसरत जयपुरी को याद किया/

उनसे अपनी बेटी की विदाई के लिए गाना लिखने के लिए कहा, हसरत जयपुरी ने अपनी कलम से वह याद घर यादगार विदाई लिखि जो आज भी सबके दिलों में बसती है, जिसको सुनकर आज भी लोग रो पड़ते हैं/

हसरत जयपुरी ने मोहम्मद रफी की बेटी के लिए जो विदाई लिखी वह थी ”GHAR SE DOLA CHALA LADLI KA”.. यह विदाई आज भी बहुत सारी शादियों में रुखसती में सुनाई देती है और इस विदाई पर जारों कतार लोगों को रोते हुए देखा गया है/

”Hasrat Jaipuri Mohd Rafi का याराना” मोहम्मद रफी ने लेकिन हसरत जयपुरी को पैसे लेने पर मजबूर कर दिया

बेटी की विदाई के लिए जिस गाने को मोहम्मद रफी ने हसरत जयपुरी से लिखवाया था और जिसको लिखने के बाद हसरत जयपुरी ने यह कह दिया था कि वह इसके पैसे नहीं लेंगे लेकिन मोहम्मद रफी ने हजरत जयपुरी को वह पैसे भेजें/

मोहम्मद रफी ने HASRAT JAIPURI को एक लिफाफे में ₹25000 रखकर अपने ड्राइवर के हाथ भेजें और HASRAT JAIPURI से यह इल्तिजा भी की ,कि वह इन पैसों को लेने से मना ना करें/

HASRAT JAIPURI ने भी मोहम्मद रफी की भावनाओं का आदर करते हुए उन पैसों को रख लिया और उनके घर के करीबी लोग बताते हैं कि hasrat jaipuri ने मोहम्मद रफी साहब के भेजे हुए उन पैसों को बहुत समय तक संभाल कर रखा उनको खर्चा नहीं किया/

जयपुर से मुंबई तक का सफर उतार-चढ़ाव से भरा था

जयपुर में पैदा हुए थे hasrat jaipuri और उन्हें बचपन से ही बड़ा शौक था शेरो शायरी का, उनके नाना जो कि अपने वक्त में बहुत बड़े लेखक थे, शायर थे, जिनका नाम था फिदा हुसैन फिदा उन्हीं की छत्रछाया में hasrat jaipuri का बचपन गुजरा/

मुंबई आने से पहले hasrat jaipuri को जयपुर में ही इश्क हुआ था, अपने पड़ोस में रहने वाली लड़की के साथ जिसका नाम था राधा लेकिन वह राधा से कभी भी अपने इश्क का इजहार नहीं कर सके/

राधा के लिए hasrat jaipuri ने एक गाना लिखा था जो कुछ इस तरह थी ”यह मेरा प्रेम पत्र पढ़कर कहीं तुम नाराज ना होना” यह पोयम राधा तक पहुंची कि नहीं पहुंची इसके बारे में वह नहीं जानते थे लेकिन इस गाने को सुनकर राज कपूर ने अपनी फिल्म संगम में इस्तेमाल जरूर कर लिया /इसके बाद यह गाना चोटी पर पहुंच गया/

hasrat jaipuri जब मुंबई पहुंचे तो यहां पर उनके पास काम तो नहीं था इसलिए उन्होंने बस कंडक्टर की नौकरी ले ली,जिसमें उन्हें महीने की ₹11 मिला करते थे और इस बीच वह मुशायरों में भी दिलचस्पी दिखाते थे और एक मुशायरा के दौरान ही पृथ्वीराज कपूर ने hasrat jaipuri के टैलेंट को पहचान लिया और राज कपूर से उनकी मुलाकात करा दी/

राज कपूर उस वक्त फिल्म बरसात बनाना वाले थे उन्होंने hasrat jaipuri से गाना लिखवाया और वह पहला गाना जो hasrat jaipuri ने लिखा वह था जिया बेकरार है जो की जबरदस्त हिट हुआ/

hasrat jaipuri ने राज कपूर के साथ बहुत काम किया उन्होंने शैलेंद्र के साथ भी अपनी जोड़ी बनाई और कई यादगार फिल्में दी इंडस्ट्री को/ काफी लंबा सफर था hasrat jaipuri का, उनकी आखिरी फिल्म थी Hatya बतौर लिरिसिस्ट  जो 2004 में आई थी/