कंगना राणावत हिंदी राष्ट्रभाषा के विवाद में उतरी अजय देवगन को सही ठहराया
कंगना राणावत हिंदी राष्ट्रभाषा के विवाद में उतरी हिंदी राष्ट्रभाषा के विवाद में अजय देवगन को सही ठहराया कंगना ने.
अजय देवगन और कन्नड़ के सुपरस्टार किच्चा सुदीप के बीच राष्ट्रभाषा को लेकर छिड़ी जंग में कंगना राणावत भी कूद पड़ी है, अपनी एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कंगना ने हिंदी को राष्ट्रभाषा बताते हुए अजय देवगन का साथ दिया, उन्होंने कहा कि संविधान में हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया गया है.. ऐसे में अगर कोई हिंदी को राष्ट्रभाषा नहीं मानता तो वह देश के खिलाफ बात करता है.
कंगना ने एग्जांपल देते हुए कहां की पंजाब में खालिस्तान के लोग कहते हैं कि वह हिंदी नहीं मानते.. उनका यह बयान देशद्रोह की तरफ इशारा करता है क्योंकि दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट से लेकर और दूसरे इंस्टिट्यूट या फिर जो वहां सरकार बैठी है, जो भी कार्य करती है वह हिंदी में होते हैं. ऐसे में हिंदी को राष्ट्रभाषा ना मानना देश के खिलाफ बात होती है.
कंगना राणावत ने किच्चा सुदीप का भी साथ दिया
किच्चा सुदीप ने जिस तरह कहा था कि हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं है, इस बात पर कंगना ने उनका पक्ष रखते हुए.. समझाने की कोशिश की, की सुदीप के कहने के मुताबिक तमिल हिंदी से भी पुरानी लैंग्वेज है.. तेलुगू, तमिल से भी पुरानी है और सबसे पुरानी है संस्कृत.. इस लिहाज से किच्चा सुदीप ने जो बात कही वह अपनी जगह सही थी लेकिन इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा नहीं है.
संस्कृत को होना चाहिए था राष्ट्रभाषा
एक तरफ कंगना ने जहां अजय देवगन का हिंदी राष्ट्रभाषा के ऊपर साथ दिया.. तो वहीं उन्होंने अपनी राय भी रखी.. उनके हिसाब से राष्ट्रभाषा जो है वह संस्कृत को होना चाहिए था, क्योंकि संस्कृत से ही सारी भाषाएं निकली हैं. उनका मानना है कि अगर उनका बस चले तो वह संस्कृत को ही राष्ट्रभाषा घोषित करें.
अंग्रेजी के सब गुलाम हो चुके हैं
भले हिंदुस्तान में हिंदी राष्ट्रभाषा हो लेकिन बिना अंग्रेजी के ऐसा लगता है कि इंसान पढ़ा लिखा नहीं है.. कंगना भी यह बात मानती हैं उन्होंने कहा कि अगर आप जर्मन, स्पेनिश यह दूसरी लैंग्वेज देखे तो वह लोग अपनी लैंग्वेज पर काफी गर्व करते हैं लेकिन हमारे यहां ऐसा नहीं है.. हमारे यहां हिंदी को नहीं बल्कि अंग्रेजी को सूत्र बनाया गया है, एक दूसरे से कनेक्ट करने के लिए.. जो कि सरासर गलत है.. कंगना ने कहा कि हर जगह हिंदी को अनिवार्य कर देना चाहिए.
कंगना ने अपनी बात खत्म करते-करते अजय देवगन और किच्चा सुदीप दोनों को ही सही ठहराया और अपने दिल की बात भी कह दी कि वह हिंदी नहीं बल्कि संस्कृत को राष्ट्रभाषा बनाना चाहती हैं.