लता मंगेशकर का 92 साल की उम्र में निधन मुंबई के ब्रिज कैंडी हॉस्पिटल में.
लता मंगेशकर 92 साल की उम्र में निधन ..मुंबई के ब्रिजकैंडी हॉस्पिटल में आखिरी सांस ली 8 जनवरी को लता मंगेशकर को हॉस्पिटल में एडमिट किया गया था जब उन्हें उनमें कोरोना के लक्षण पाए गए थे शुरू दिन से ही लता मंगेशकर को आईसीयू में रखा गया तबीयत जब खराब हुई तो उन्हें वेंटिलेटर का सहारा दिया गया कुछ दिन बाद लता मंगेशकर की तबीयत ठीक हुई तो वेंटीलेटर हटा दिया लेकिन उन्हें आईसीयू से बाहर नहीं रखा गया वह लगातार आईसीयू में ही रही..
डॉक्टर अपनी पूरी कोशिश करते रहे और बीच में उनकी तबीयत थोड़ी सही भी हुई लेकिन अचानक से 5 फरवरी को एक बार फिर उनकी तबीयत बिगड़ी और उन्हें वापस वेंटिलेटर पर रखा गया दवा और दुआओं का दौर शुरू हो गया लेकिन रविवार 6 फरवरी को सुबह-सुबह दुख भरी खबर आई की लता मंगेशकर अब हमारे बीच नहीं रही.
लता मंगेशकर का देहांत 6 फरवरी को सुबह करीब 9:30 बजे हुआ जिसके बाद पूरा देश गम में डूब गया राष्ट्रीय शोक घोषित कर दिया गया तमाम मशहूर हस्तियां ब्रिज कैंडी का रुख करने लगी जिनमें पॉलीटिशियंस के साथ-साथ सचिन तेंदुलकर भी शामिल थे सचिन तेंदुलकर को लता दीदी बेइंतेहा पसंद करती थी और सचिन तेंदुलकर भी लता मंगेशकर को अपनी मां के बराबर का सम्मान देते थे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लता मंगेशकर के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए अपने सारे कार्यक्रम रद्द कर दिए और उनके अंतिम दर्शन के लिए मुंबई जाने का प्रोग्राम बनाया 4:00 बजे के करीब पीएम मोदी शिवाजी पार्क में लता मंगेशकर के आखिरी दर्शन और श्रद्धांजलि देने पहुंचेंगे.
पूरे राष्ट्रीय सम्मान के साथ लता मंगेशकर का अंतिम संस्कार किया जाएगा शिवाजी पार्क में किस तरह का इंतजाम किए गए हैं लता मंगेशकर के अंतिम संस्कार के लिए इसका जायजा लेने खुद आदित्य ठाकरे पहुंचे.
भारत रत्न थी स्वर कोकिला.
भारतरत्न थी स्वर कोकिला लता मंगेशकर अपने अमर गीतों से वह भी अमर हो गई बढ़ती उम्र के साथ साथ उन्होंने फिल्मों में गाने गाने भी बहुत कम कर दिए थे बहुत कम ऐसे मौके होते थे जब वह फिल्मों में अपनी आवाज देती थी खासतौर से वह यश चोपड़ा को कभी भी मना नहीं कर पाती थी यश चोपड़ा भी अपनी सारी फिल्मों में लता मंगेशकर के गानों के बिना अपनी फिल्मों को अधूरा समझते थे फिल्म वीर जारा में यश चोपड़ा ने खासतौर से लता मंगेशकर के घर जाकर उन से विनती की थी कि वह उनकी फिल्म वीर जारा को अपनी आवाज से सजाएं मदन मोहन की धुनो को वापस यश चोपड़ा काफी अरसे के बाद फिल्मों में लाए थे मदन मोहन की बात सुनकर लता मंगेशकर यश चोपड़ा को मना नहीं कर सकी क्योंकि मदन मोहन को मदन भैया कहकर बुलाती थी लता मंगेशकर.
लता मंगेशकर की जिंदगी 1 मील का पत्थर है खासतौर से सिंगर्स के लिए क्योंकि लता मंगेशकर ने बहुत सारे त्याग दिए थे अपनी आवाज के लिए उन्होंने कभी खट्टा नहीं खाया ठंडा पानी नहीं पिया और ना ही कभी आइसक्रीम का मजा चखा इतने सारे त्याग देने के बाद लता मंगेशकर स्वर कोकिला बनी जो हमेशा अमर रहेंगे अपनी आवाज के जरिए.