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मोहम्मद रफी तू बहुत याद आया

मोहम्मद रफी तू बहुत याद आया यह वह lines हैं जिसको सुनकर आज भी सबकी आंखें नम हो जाती हैं

मोहम्मद रफी तू बहुत याद आया यह वह lines हैं जिसको सुनकर आज भी सबकी आंखें नम हो जाती हैं |31 जुलाई 1980 में आज ही के दिन मोहम्मद रफी साहब का इंतकाल हुआ था| 42 साल हो गए मोहम्मद रफी साहब को इस दुनिया से अलविदा कहे हुए लेकिन आज भी अपनी आवाज से सब के दिलों में जिंदा है|

42 वी डेथ एनिवर्सरी पर मुंबई में सैंटाक्रूज कब्रिस्तान पर जहां मोहम्मद रफी साहब दफन है उन की कब्र पर फातिहा पढ़ने के लिए हर साल की तरह इस साल भी काफी भीड़ नजर आई |सुबह से ही मोहम्मद रफी के चाहने वाले कब्रिस्तान में उनकी कब्र पर फातिहा पढ़ने पहुंचे|

42 साल होने के बाद आज भी मोहम्मद रफी साहब के चाहने वालों की कोई कमी नहीं हैं |उनके चाहने वाले उनकी डेथ एनिवर्सरी पर सैंटाक्रूज कब्रिस्तान पहुंचते हैं |रफी साहब के बेटे शाहिद रफी भी अपने अब्बा की कब्र पर फातिहा पढ़ने पहुंचते हैं और वहां मौजूद मोहम्मद रफी साहब के fans से मुलाकात करते हैं| शाहिद रफी खुद भी काफी ज्यादा अपने पिता मोहम्मद रफी से मिलते हुए हैं|

कैसे हुआ था मोहम्मद रफी का इंतकाल

आज भी मोहम्मद रफी साहब के चाहने वाले जानना चाहते हैं कि आखिर कैसे हुआ था उनका इंतकाल|

मोहम्मद रफी साहब को डायबिटीज थी और वह डायबिटीज की दवा दिया लिया करते थे| जिस दिन उनका इंतकाल हुआ उस दिन सुबह उठकर उन्होंने सबसे पहले अपना रियाज किया| जिसके बाद एक बंगाली फिल्म के प्रोड्यूसर उनके पास पहुंचे थे फिल्म के गाने के म्यूजिक के लिए और उनके साथ भी रफी साहब ने म्यूजिक पर मीटिंग की लेकिन सुबह से उनकी तबीयत ठीक नहीं थी बावजूद इसके वह अपने रोजमर्रा के काम में बिजी रहे|

उनके सीने में दर्द हो रहा था और जब बंगाली फिल्म के प्रड्यूसर उनके घर से चले गए तो वह ऊपर अपने कमरे में गए और उन्होंने अलमारी से दवा का डिब्बा निकाल कर उसमें से sodomin टेबलेट खाई| यह सब उनकी पत्नी देख रही थी जो कि खुद भी 103 बुखार में तप रही थी|

उन्होंने रफी साहब से पूछा उनकी तबीयत के बारे में रफी साहब ने बताया कि थोड़ी सी सीने में जलन हो रही है sodomin टेबलेट खा लेंगे तो सही हो जाएगी| इस पर उनकी पत्नी ने कहां जब तबीयत नहीं सही थी तो आपको मना कर देना चाहिए था मीटिंग के लिए, जवाब में रफी साहब ने कहा कि कोई उम्मीद लेकर मेरे घर आया था और मैं किसी को भी अपने घर से ना उम्मीद और नाराज करके नहीं भेज सकता|

नेशनल हॉस्पिटल और बॉम्बे हॉस्पिटल के बीच 3 अटैक पढ़े

मोहम्मद रफी साहब के सीने में दर्द बढ़ रहा था ऐसे में उनकी पत्नी ने अपने भाई जोकि रफी साहब के मैनेजर भी थे उनसे डॉक्टर को फोन करके बुलाने के लिए कहा| उनके फैमिली डॉक्टर जब घर पहुंचे तो उन्होंने चेकअप करने के बाद फौरन ही एंबुलेंस बुला ली| रफी साहब को ऑक्सीजन घर पर ही लगा दी गई थी और उन्हें एंबुलेंस में लेकर बॉम्बे हॉस्पिटल ले जाया गया लेकिन बताते हैं कि रास्ते में ही यानी कि नेशनल हॉस्पिटल से बॉम्बे हॉस्पिटल के बीच में रफी साहब को 3 बड़े हार्टै अटैक पढ़े जिसने काफी नुकसान पहुंचाया

बॉम्बे हॉस्पिटल जाने के बाद उन्हें सीधा आईसीयू में ले गए जहां पर उनके पेसमेकर लगा दिया गया लेकिन रफी साहब की सांसे पेसमेकर लगने के बाद सिर्फ आधे घंटे की ही बची थी और आधे घंटे के बाद रफी साहब इस दुनिया को अलविदा कह गए|

 

 

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