Nepotism war again started फिर से नेपोटिज्म का भूत जाग गया है
Nepotism war again started फिर से नेपोटिज्म का भूत जाग गया है फिर से नेपोटिज्म ने सर उठाया है और एक बड़ी बहस शुरू हो गई है सोशल मीडिया पर कि आखिर बॉलीवुड कब सुधरेगा/ नेपोटिज्म से कब बाहर आएगा लेकिन यह बहस बीमान लगती है बे मेयने लगती है /
हाल ही में ओटीटी पर रिलीज हुई फिल्म आर्चीज जिसमें शाहरुख खान की बेटी सुहाना खान श्रीदेवी की बेटी खुशी कपूर और अमिताभ बच्चन के नाती अगस्त्य नंदा ने डेब्यू किया/ इसके अलावा तो और भी न्यू कॉमर्स थे जिनका फिल्म इंडस्ट्री में इतना गहरा नाता नहीं था /
इसलिए उनका कोई जिक्र नहीं है सबके निशाने पर चढ़े सुहाना खान खुशी कपूर और अगस्तया नंदा/ नेपोटिज्म के तीर उनकी तरफ चलने लगे/
नेपोटिज्म का मतलब होता है कि उन बच्चों को प्रिविलेज मिलना जिनके मां-बाप पहले से ही उस प्रोफेशन में कामयाब हो और उनके बच्चे भी उस प्रोफेशन को चुने और उन्हें उसके लिए कोई स्ट्रगल ना करना पड़े /यानी की आराम से उनका डेब्यु हो जाए और उन्हें सब कुछ प्लेट पर सजा सजाया मिल जाए बिना किसी स्ट्रगल के/
जाहिर है शाहरुख खान की बेटी श्रीदेवी की बेटी और अमिताभ बच्चन के नाती को फिल्मों में कदम रखने के लिए भला स्ट्रगल क्यों करना पड़ेगा क्योंकि इनके तो पेरेंट्स पहले से ही एस्टेब्लिश हैं और उनके बच्चों को लॉन्च करने के लिए /फिल्म इंडस्ट्री में रेस लगी थी जिसमें बाजी मारी जोया अख्तर ने फिल्म Archies बनाकर/
Nepotism की बहस में कोई दम नहीं लगता
यह बात सही है स्टार किड्स को आराम से प्लेटफार्म मिल जाता है लेकिन सच्चाई यह भी है कि उन्हें सिर्फ लॉन्चिंग पैड मिलता है/ उन बच्चों को नहीं मिल पाता जो कि बाहर से आए हुए है लेकिन आगे की लड़ाई उन्हें खुद ही लड़नी पड़ती है लांच होने के बाद उनके पेरेंट्स कुछ नहीं कर सकते हैं /अगर उनमें दम होगा तो वह रेस में आगे दौड़ेंगे वरना बड़े-बड़े एग्जांपल पड़े हैं/ बड़े-बड़े सुपरस्टार्स के बच्चे हैं घर में बैठकर धूल फाक रहे हैं /
सोशल मीडिया पर लेकिन नाराजगी इसी बात पर लोगों की रहती है कि बाहर के लोगों को स्ट्रगल करना पड़ता है और स्टार किड्स को स्ट्रगल नहीं करना पड़ता है लेकिन उनको यह कौन समझाए कि स्टार किड्स के पेरेंट्स पहले से स्ट्रगल कर चुके हैं और अब अपने बच्चों को वह स्ट्रगल क्यों करने देंगे खासतौर से लांच करने के लिए/
अगर नेपोटिज्म से हर कोई सुपरस्टार बन सकता होता तो
अमिताभ बच्चन के बेटे अभिषेक बच्चन आज भी इस तरह स्ट्रगल ना कर रहे होते और वह भी सुपरस्टार होते/ जितेंद्र के बेटे तुषार कपूर घर पर ना बैठे होते हैं/
मिथुन चक्रवर्ती के बेटे भी फिल्म इंडस्ट्री में जमे होते /फिरोज खान के बेटे फरदीन खान हताश होकर film इंडस्ट्री को टाटा बाय-बाय ना कहते/
वहीं दूसरी तरफ दम था तो आज भी टिके हुए हैं रणबीर कपूर वरुण धवन करिश्मा कपूर करीना कपूर जहान्वी कपूर सारा अली खान बहुत सारे ऐसे एग्जांपल हैं जिन्होंने अपने टैलेंट के दम पर अपनी जगह बनाई है इंडस्ट्री में और उनके टैलेंट को देखकर पब्लिक ने उनको एक्सेप्ट किया है/
नेपोटिज्म कुछ नहीं होता बस एक अल्फाज है और बहस करने के लिए एक मुद्दा है उन लोगों के पास जिनके पास और कोई काम नहीं है सिर्फ दूसरों में कमियां निकालने के अलावा/