Rahul Gandhi ने G.T.B. Delhi में श्रमिक चौक का दौरा किया। उन्होंने दिहाड़ी मजदूरों से बातचीत की और निर्माण स्थल पर उनके साथ काम करते हुए समय बिताया।
दिहाड़ी मजदूर वह होते हैं जो रोज अपना रोजगार तलाशते हैं/ आप देखते होंगे कि सड़क किनारे सुबह-सुबह बहुत सारे मजदूर खड़े होते हैं काम की तलाश में/
इन मजदूरों में मिस्त्री भी होते हैं, पुताई वाले भी होते हैं, पेंट करने वाले भी होते हैं, ईटा उठाने वाले भी होते हैं/ यह रोज अपने घर से निकलते हैं काम की तलाश में/
अक्सर इन्हें काम मिल जाता है और अक्सर इन्हें खाली हाथ अपने घर वापस लौटना पड़ता है/इन दिहाड़ी मजदूरों की जब किस्मत अच्छी होती है तो इन्हें कोई ना कोई काम मिल जाता है और यह सुबह से लेकर शाम तक काम करके अपना मेहंताना ले लेते हैं/
अक्सर लेकिन इनको मायूसी का भी सामना करना पड़ता है क्योंकि रोज इन्हें काम नहीं मिलता और यह अपने हाथ से काम करते हैं/ कोई मशीनी काम नहीं जानते हैं, राहुल गांधी इन्हीं मजदूरों का दर्द बांटने उनके बीच पहुंचे थे/
Rahul Gandhi ने खुद भी दिहाड़ी मजदूरी की
दिहाड़ी मजदूरों के साथ मजदूरी करके राहुल गांधी ने मजदूरों का दर्द साझा किया/ दिहाड़ी मजदूर अपने बीच में यूं राहुल गांधी को देखकर पहले तो काफी अचंभित हुए फिर उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा/
क्योंकि राहुल गांधी हिंदुस्तान की राजनीति का एक बड़ा चेहरा है और यूं इस तरह से अपने बीच पाकर मजदूरों की खुशी का ठिकाना नहीं था क्योंकि कभी कोई इतना बड़ा नेता इनके बीच नहीं जाता/
इनका दर्द नहीं समझता जैसा कि राहुल गांधी ने उनके बीच पहुंचकर इनका दर्द समझा, उनके काम में अपना हाथ बंटाया/
राहुल गांधी का कहना है कि उनकी जिंदगी का एक और बड़ा मकसद है, वह यह है कि यह मजदूर जो सिर्फ अपने हाथ से काम करना जानते हैं जिन्हें मशीनों पर काम करना नहीं आता/
यह जिंदगी में बहुत बड़ा काम कर रहे होते हैं लेकिन उनके काम का किसी को अंदाजा नहीं होता कि यह कितना बड़ा काम कर रहे हैं और इनको इनकी मेहनत के हिसाब से मेहंताना अदा नहीं किया जाता/
इन दिहाड़ी मजदूरों के लिए राहुल गांधी कुछ नहीं बहुत कुछ करना चाहते हैं, उन्हें उनका हक दिलाना चाहते हैं और वह हक होगा जब उन्हें रोज काम मिले और वह भी अपने परिवार को इज्जत की खुशहाल की जिंदगी दे सकें/