शबाना आजमी: CANNES में कॉफी पीने के भी पैसे नहीं थे जब पहली बार गई थी CANNES Film Festival में
शबाना आजमी: CANNES में कॉफी पीने के भी पैसे नहीं थे जब पहली बार गई थी CANNES Film Festival में अपनी फिल्म निशांत के वक्त|
1976 में शबाना आजमी पहली बार CANNES Film Festival अटेंड करने गई थी अपनी फिल्म निशांत की स्क्रीनिंग के लिए| फिल्म में उनके साथ स्मिता पाटिल भी थी और फिल्म को डायरेक्ट किया था श्याम बेनेगल ने|
पहली बार शबाना आजमी ने CANNES Film Festival का मुंह देखा था और उन्हें अपनी जर्नी आज भी याद है जब उनके पास सिर्फ 8 यूएस डॉलर थे पूरी ट्रिप के लिए|
आलम यह था कि फेस्टिवल के दौरान उनके पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वह कॉफी पी सकें या यूं कहें कि उनके पास बजट ही नहीं था कॉफी पीने का|
शबाना आजमी बताती हैं कि जिस होटल में ठहरी हुई थी वह भी कोई फाइव स्टार होटल नहीं था बल्कि नार्मल होटल था जहां पर ब्रेकफास्ट फ्री था और वह स्मिता पाटिल और श्याम बेनेगल हैवी नाश्ता कर लेते थे जिससे उन्हें भूख ना लगे|
CANNES फेस्टिवल में वहां पर जाते थे जहां पर खाना अवेलेबल होता था| शबाना आज़मी बताती हैं कि उनका इंटरेस्ट इवेंट अटेंड करने का नहीं होता था बल्कि उनका फोकस खाने पर होता था कि यहां पर खाना मिल जाएगा क्योंकि hotel में तो खाना paid था यानी कि पैसे देकर ही खा सकते थे इसलिए इवेंट्स परी पर ही खाने का जुगाड़ ढूंढती थी शबाना आज़मी|
बजट ना होते हुए भी हाउसफुल था निशांत में
जब CANNES फिल्म फेस्टिवल में निशांत को लेकर श्याम बेनेगल, शबाना आज़मी और स्मिता पाटिल पहुंचे तो इनके पास बजट बहुत लिमिटेड था ना के बराबर था| जबकि दूसरी फिल्म में जो दूसरी जगह से आई थी उनके प्रोड्यूसर्स के पास काफी अच्छा बजट था और वह लोगों को लैविश पार्टी दे रहे थे|
रेड कारपेट पर दूसरी एक्ट्रेसेस शार्ट कपड़ों में या बिकनी में भी नजर आ रही थी| ऐसे में शबाना आजमी और स्मिता पाटिल ने साड़ी पहन रखी थी जो कि पूरी महफिल में अलग से नजर आ रही थी| अपने attire की वजह से सेंटर ऑफ़ अट्रैक्शन थी दोनों| वहीं पर शबाना आजमी और स्मिता पाटिल ने मौजूदा लोगों को जा जाकर इनवाइट किया अपनी फिल्म निशांत के लिए|
दोनों की मेहनत रंग लाई और जब निशांत की स्क्रीनिंग CANNES फिल्म फेस्टिवल में हुई तो पूरा हाउसफुल था और फिल्म खत्म होने के बाद लोगों ने स्टैंडिंग ओवेशन दिया फिल्म को| उस वक्त ना तो कोई पब्लिसिटी का जरिया था और ना ही श्याम बेनेगल स्मिता पाटिल और शबाना आज़मी के पास इतने पैसे थे कि वह अपनी फिल्म के लिए पार्टी देकर लोगों को इनवाइट करती लेकिन जिस तरह से लोगों ने निशांत को देखा और उसको सराहा यही एक जीत थी सच्चे सिनेमा की|
1986 में फिर CANNES जाने का मौका मिला था
शबाना आजमी को दोबारा CANNES में जाने का मौका मिला था 1986 में जब उनकी film indo-french जोकि belgium का production था जिसको डायरेक्ट किया था मृणाल सेन ने इस फिल्म की स्क्रीनिंग के लिए CANNES में जाना था| शबाना आजमी ने जाने से पहले उन्होंने अपनी यात्रा रद्द की क्योंकि उनको भूख हड़ताल पर जाना पड़ा था,
झोपडपट्टी को बचाने के लिए कफ परेड में और शबाना आज़मी की यह भूख हड़ताल 5 दिन तक चली थी उसके बाद शशि कपूर ने पूरे मामले में हस्तक्षेप करते हुए उस वक्त चीफ मिनिस्टर से मिलकर शबाना आजमी की भूख हड़ताल खत्म कराई थी और पूरे मामले को निपटाया था यानी कि जो झोपडपट्टी तोड़ी जा रही थी उनको रुकवाया था|
1989 में शबाना आजमी एक बार फिर पहुंची CANNES लेकिन इस बार शॉर्ट डॉक्युमेंट्रीज को अवार्ड देने के लिए और इस बार शबाना आजमी के पास पैसे भी थे कॉफी पीने के और फाइव स्टार होटल में रहने का भी उनका इंतजाम था|