Film Reviews writing का गोरख धंधा झोला छाप critics पब्लिक को बनाते बेवकूफ
Film Reviews writing का गोरख धंधा झोला छाप critics पब्लिक को बनाते बेवकूफ रामगोपाल वर्मा की फिल्म एक डायलॉग था गंदा है पर धंधा है यह/ यह डायलॉग बहुत सी जगह पर फिट बैठता है लेकिन पहले कभी किसी के ख्वाबों खयालों में भी नहीं था कि यह डायलॉग फिल्म इंडस्ट्री में फिल्म के रिव्यूज पर भी बिल्कुल फिट बैठेगा/
फिल्मों का रिव्यूज अब एक गंदा धंधा बन चुका है/ अब यह तय कर पाना बिल्कुल नामुमकिन हो चुका है की जो रिव्यूज हम सुन रहे हैं/ पढ़ रहे हैं वह कितने सही हैं क्योंकि अब रिव्यूज के लिए भी जमकर पैसा चलने लगा है/
जिसकी जितनी बड़ी दुकान उतना ही बड़ा पैसा उसको मिल रहा है रिव्यूज लिखने और बोलने के लिए/ काफी समय से यह समझ आ रहा था कि रिव्यूज जो अच्छे पढ़ने सुनने मिलते हैं वह फेक हैं लेकिन इस पर कोई पुख्ता सबूत नहीं मिल रहा था/
Film Reviews writing की विद्युत जामवाल ने पोल खोल कर रख दी
जितना बिंदास एक्शन vidyut jamwal करते हैं/ अपनी जिंदगी में भी उतने बिंदास हैं किसी से डरते नहीं है/ देखने में तो इंडस्ट्री में बड़े-बड़े नाम है लेकिन अपनी फिल्मों को चमकाने के लिए वह किसी चूहे की तरह ही बिहेव करते हैं/ विद्युत जामवाल ने लेकिन पोल खोल कर रख दी उस so called critic की जिसका नाम Sumit है/
विद्युत जामवाल के ट्वीट से साफ पता चला कि उस sumit नामक क्रिटिक ने vidyut jamwal से भी मोटा पैसा मांगा था अच्छा रिव्यु देने के लिए अपने सोशल मीडिया पर जिसको vidyut jamwal ने लेकिन उसको एक फूटी कौड़ी भी नहीं दी/
किसी बरसाती मेंढक की तरह ही आजकल सोशल मीडिया पर हर कोई क्रिटिक बना फिर रहा है/ फिल्मों के रिव्यूज तो ऐसे करते है जैसे बहुत रिसर्च कर रखी हो या उसका बहुत बड़ा करियर रहा हो फिल्म इंडस्ट्री में/
यह वह झोला छाप क्रिटिक है जो अपनी दुकान इसलिए सजा कर बैठे हैं क्योंकि इन्हें सोशल मीडिया पर या तो सब्सक्राइबर मिल गए हैं काफी ज्यादा या फिर उनके फॉलोअर्स काफी हैं और यह सब्सक्राइबर फॉलोअर्स कहां से आते हैं इसके पीछे की भी सच्चाई सबको पता है कि यह सब मैनेज किए जाते हैं और इस तरह से वह अपनी दुकान चलाते हैं/
फिल्म के PR से कांटेक्ट करते हैं /अपनी दुकान का शटर दिखाते हैं कि हमारे पास इतने सब्सक्राइबर और फॉलोअर्स हैं और PR जो किसी दलाल से कम नहीं है आज की तारीख में/ वह अपनी दुकान चलाने के लिए सामने प्रोड्यूसर से डील करवा लेते हैं/ यह कहकर की करोड़ों की फिल्म बनाई है कुछ लाख और फिल्म के ऊपर लगा दें पब्लिसिटी में तो फिल्म को रिव्यूज अच्छे मिल जाएंगे जिससे पब्लिक थिएटर तक पहुंचेगी/
बड़े-बड़े प्रोड्यूसर फिल्म मेकर आजकल इस गोरख धंधे का हिस्सा बने हुए हैं
अब वह दौर नहीं रहा जब फिल्म मेकर्स को अपनी मेहनत पर यकीन होता था /आजकल फिल्म मेकर्स भी चाहते हैं कि न्यूज़ पेपर में और सोशल मीडिया पर उनकी फिल्म की जमकर तारीफ की जाए जिससे पब्लिक थिएटर का रुख करें और उन्हें इस झूठी पब्लिसिटी से फायदा पहुंचे/
नुकसान किसका होता है सीवाय पब्लिक के और किसी का नहीं
सुमित जैसे so called fake critic और भी बहुत सारे इस वक्त सोशल मीडिया पर कीड़े मकोड़े की तरह देखे जा सकते हैं/
सवाल यह उठता है कि जिन critics ने अपना करियर फिल्म इंडस्ट्री में लगा दिया हो/ पूरी जिंदगी उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में दी हो जिन्हें फिल्म के फर्स्ट फ्रेम से लेकर आखिरी फ्रेम तक की पूरी नॉलेज हो और जो हमेशा से ही सटीक रिव्यूज देते आए हैं बिना किसी दबाव के और वह क्रिटिक्स जो असल मायने में क्रिटिक्स है/ सोशल मीडिया पर इतना एक्टिव नहीं है तो क्या अब उनकी वैल्यू खत्म हो गई/
इस गंदे खेल में फिल्म के PR का बहुत बड़ा हाथ है /सारी दलाली वहीं से शुरू होती है/ यह वह दलाल है आज की तारीख में जो अपनी भी दुकान चलाने के लिए पब्लिक को बेवकूफ बनाने पर तुले रहते हैं/
यह बाकायदा अलग-अलग शहरों से उन SO CALLED CRITICS को फ्लाइट से बुलाते हैं/
मुंबई के फाइव स्टार होटल में ठहराते हैं और यहां पर फिर film मेकर से उनकी मीटिंग फिक्स कराते हैं/
फिल्म मेकर्स भी देखते हैं कि इस बंदे के पास सोशल मीडिया पर काफी तादाद में फॉलोअर्स हैं तो उस पर पैसा खर्च कर देते हैं यह सोचकर की यह अच्छा रिव्यु लिखेगा और उनके कुछ टिकट बिक जायेंगे
इस तरह का गोरख धंधा आजकल चरम सीमा पर चल रहा है फिल्म इंडस्ट्री में/ जहां पर फिल्म मेकर अपनी दुकान चल रहा है/ फिल्म का PR अपनी दुकान चल रहा है और बरसाती मेंढक की तरह आए हुए SO CALLED CRITICS अपनी दुकान चला रहे हैं दूसरे शहरों में अपने घर में बैठकर/ जिनका मुंबई से या FILM INDUSTRY से कभी कोई नाता नहीं रहा/
यह बहुत बड़ी चीटिंग है हिंदुस्तान की जनता के साथ जो अपनी मेहनत की कमाई इन SO CALLED CRITICS के कहने पर अपनी फैमिली को लेकर थिएटर चला जाता है और वहां पहुंचकर उसका दिमाग ठनकता है कि उसने सोशल मीडिया पर सुना तो कुछ था और देख कुछ रहा है/
Behatarin
Many thanx.
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