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बुलडोज़र कार्यवाही पर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा

बुलडोज़र कार्यवाही पर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा करवाई क्या कानूनी प्रक्रिया के तहत हुई है या नही

बुलडोज़र कार्यवाही पर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा क्या वह कानूनी प्रक्रिया के तहत हुई है या नही सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा है जो बुलडोजर की करवाई हुई है क्या वह कानूनी प्रक्रिया के तहत हुई है या नही|

यूपी में बुलडोज़र कार्यवाही के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जमीयत उलेमा ए हिन्द की याचिका पर सुनवाई हुई जिसमें जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ सुनवाई कर रही थी|

जमीयत उलेमा ए हिंद की तरफ से वकील C U Singh ने कोर्ट के सामने इस मामले की जल्द सुनवाई की जरूरत बताते हुए कहा कि यूपी में बुलडोजर चलाया जा रहा है। उसके लिए नियम और प्रक्रिया का पालन नही किया जा रहा है। सिंह ने कहा कि हाल की घटना में शामिल होने का आरोप लगाते हुए उनके मकान अवैध ठहरा कर गिराए जा रहे है। ये सभी पक्के घर है जो 20 साल से भी पुराने है। कई घर तो आरोपियों के परिजनों के नाम पर है लेकिन फिर भी उन्हें गिराया गया है।

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उत्तर प्रदेश (रेग्युलेशन ऑफ बिल्डिंग ऑपरेशन्स) एक्ट, 1958 की धारा 10 और उत्तर प्रदेश अर्बन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट एक्ट, 1973 की धारा 27 का उल्लंघन हो रहा है|

याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि कानून में किसी निर्माण पर कार्रवाई से पहले उसके मालिक को 15 दिन का नोटिस देने और संपत्ति के मालिक को कार्रवाई रुकवाने के लिए अपील करने के लिए 30 दिन का समय देने जैसे प्रावधान हैं, लेकिन यूपी में उनका पालन नहीं हो रहा है।

जमीयत उलेमा ए हिंद के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में जवाबदेही तय करने की मांग रखी और अपील की कोर्ट से इस कार्रवाई पर रोक लगाएं|वकील ने क़ानूनी प्रावधानों का हवाला दिया ।
UP अर्बन प्लानिंग एन्ड डिवेलपमेंट एक्ट 1973 के मुताबिक भी बिल्डिंग मालिक को 15 दिन का नोटिस और अपील दायर करने के लिए 30 दिन का वक़्त देना ज़रूरी है|

जमीयत उलेमा ए हिंद के वकील ने कहा लोगों को सुनवाई करने का मौका दिया जाए।जमीयत के वकील ने कहा कि यूपी में जो हो रहा है, वो असंवैधानिक है, एक खास समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है।

यूपी प्रशासन के तरफ से हरीश साल्वे ने बहस की शुरुवात की

हरीश साल्वे ने कहा कौन कोर्ट आया ये देखना चाहिए। कई लोग सिर्फ अखबार पढ़कर अर्जी लगाते हैं कि तोड़फोड़ से पहले नोटिस नहीं दिया गया।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा क्या प्रभावित पक्ष आया? ध्वस्तीकरण की करवाई नोटिस देने के बाद हुईं। ये बात गलत है किसी समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है। अवैध निर्माणों के खिलाफ यूपी में करवाई चल रही है। सॉलिसिटर जनरल ने कहा अगर आप प्रभावित पक्ष है तो आप याचिका दाखिल करे। अपने केस को अदालत में साबित करे। इस मामले में जरनल आदेश नही हो सकता।

तुषार मेहता ने यूपी सरकार की ओर से कहा कि ये कहना गलत है कि किसी खास समुदाय को टारगेट कर कार्रवाई की जा रही है। ये तो पुरानी प्रक्रिया है जिसमें महीनों पहले से नोटिस दिए गए थे। ये कहना सरासर गलत है कि ध्वस्तीकरण से पहले प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। ये राजनीतिक आरोपबाजी है। सरकार की गलत छवि बनाई जा रही है। perception बनाया जा रहा है।
हरीश साल्वे ने कहा कि प्रयागराज में 10 मई को नोटिस दिया गया। दंगो के पहले नोटिस दिया गया था। 25 मई को ध्वस्तीकरण का आदेश जारी किया गया।