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₹17 एक दिन की मजदूरी मिलती थी

₹17 एक दिन की मजदूरी मिलती थी ओमकार दास मानिकपुरी को |गरीबी में बीता सारा बचपन|

₹17 एक दिन की मजदूरी मिलती थी ओमकार दास मानिकपुरी को |गरीबी में बीतासारा बचपन|पीपली लाइव फिल्म के साथ बॉलीवुड में अपनी पारी की शुरुआत की थी omkar das manikpuri ने जोकि नत्था के नाम से मशहूर हुए और आज भी उन्हें लोग नत्था के नाम से ही पुकारते हैं| ओंकार दास का जन्म छत्तीसगढ़ के भिलाई के एक गांव में हुआ था |बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखते थे ओमकार दास

ओमकार दास को बचपन से ही एक्टिंग का शौक था| गांव में जो लोकगीत पर नाच गाना होता था या फिर उसमें जो ड्रामा होता था उसको देखने के लिए नत्था पहुंच जाया करते थे| गांव में थोड़ी जमीन थी जिस पर उनके पिताजी खेती किया करते थे और जब फसल तैयार होने के लिए होती थी उस दौरान ओंकार दास मानिकपुरी के पिता अपने पूरे परिवार को लेकर किसी दूसरे शहर में चले जाया करते थे कुछ महीनों के लिए| जहां पर वह मजदूरी किया करते थे और फिर फसल पकने पर वापस अपने गांव आ जाया करते थे|

पढ़ाई में बहुत दिल नहीं लगता था ओमकार दास का| उनका दिल नाटक करने में ज्यादा लगता था और घर के हालात भी ऐसे नहीं थे कि वह बहुत ज्यादा पढ़ सकते |इसलिए उन्होंने सिर्फ 5 क्लास तक ही अपनी पढ़ाई की उसके बाद उन्होंने स्कूल छोड़ दिया|

स्कूल छूट गया लेकिन नाटक से प्रेम नहीं छूटा |अब ओमकार दास भी मजदूरी करने लगे उन्हें रोज का ₹17 मिला करता था मजदूरी करने में लेकिन नाटक के मोह मैं वह रोज मजदूरी पर नहीं जाते थे बल्कि 3 दिन मजदूरी करते थे और 3 दिन नाटक में बिजी रहते थे |इसी वजह से घर में पैसों की बहुत किल्लत होती थी क्योंकि ओंकार दास रोज मजदूरी नहीं करते थे|

पिताजी का भी जल्दी देहांत हो गया

ओमकार दास की उम्र काफी कम थी जब उनके पिताजी का देहांत हो गया |अब घर की सारी जिम्मेदारि उनके कंधों पर आ गई और जब ओमकार दास की उम्र सिर्फ 17 साल थी तभी उन्होंने शादी भी कर ली और उनके घर पहली बेटी आई लेकिन अभी भी दिन गरीबी में कट रहे थे| पैसों की बहुत किल्लत थी मजदूरी में दिल लगता नहीं था हर वक्त दिल नाटक की तरफ भागा करता था|

एक रोज तनवीर हबीब से मुलाकात हो गई |तनवीर हबीब ने ओंकार दास और उनके साथ दूसरे लोग जो नाटक किया करते थे उनको भोपाल आने की दावत दे दी |तनवीर हबीब ने-अपने ग्रुप में उन्हें नाटक करने की पेशकश की और साथ ही ₹70 रोज के देने का भी वादा किया| कहां तो मुश्किल से रोज के ₹17 मिलते थे और यहां तो ओंकार दास उर्फ नत्था को उनके मन मुताबिक काम मिल रहा था और साथ ही अच्छा खासा पैसा भी मिल रहा था| भला ऐसे में तनवीर हबीब की पेशकश को कैसे ठुकरा सकते थे ओमकार दास उन्होंने फैसला कर लिया भोपाल में शिफ्ट होने का और अब पैसों की वह किल्लत भी कम हो गई थी|

अनुषा रिजवी से मुलाकात हो गई(₹17 एक दिन )

डायरेक्टर अनुषा रिजवी आमिर खान के प्रोडक्शन तले फिल्म बनाने जा रही थी पीपली लाइव जिसके लिए उन्होंने तनवीर हबीब के ग्रुप में जाकर वहां के एक्टर्स को कास्ट करने का मन बनाया और जब तनवीर हबीब के ग्रुप में पहुंची तो वहां पर उन्होंने बहुत सारे कैरेक्टर्स के लिए एक्टर्स का ऑडिशन लिया| ओमकार दास कि जब तक बारी आती ऑडिशन देने की तब तक देर हो चुकी थी तो उन्हें दूसरे दिन बुलाया गया|

2 लाइंस का डायलॉग दिया गया ओंकार दास उर्फ नत्था को लेकिन इस थिएटर से जुड़े हुए कलाकार थे इसलिए ओंकार ने उन दो लायंस को 5 मिनट के scene में बदल दिया|

ओमकार दास और दूसरे कलाकारों के ऑडिशन लेकर anusha rizvi वापस मुंबई आ गई उन्होंने वह सारे ऑडिशंस आमिर खान और किरण राव को दिखाएं |जब ओमकार दास पर aamir khan की नजर पड़ी तो उन्होंने ओमकार दास को नत्था के किरदार के लिए चुन लिया और उस फिल्म ने ओंकार दास की जिंदगी को एक और नया आयाम दिया|

अभी भी स्ट्रगल जारी है

फिल्म पीपली लाइव मैं बेहद हिट किरदार निभाने के बाद भी ओंकार दास उर्फ  नत्था कि जिंदगी में struggle  अभी भी जारी है| जबकि आमतौर पर देखा जाता है कि फिल्म इंडस्ट्री में एक किरदार हिट हो जाए तो फिर उस एक्टर के पास काम की कमी नहीं रहती और यहां तो आमिर खान प्रोडक्शन की बात थी बावजूद इसके नत्था को फिल्म इंडस्ट्री में ना के बराबर काम मिला|

इसके पीछे ओमकार दास का मानना है कि उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री को पहचाना नहीं उन्हें कुछ भी तौर-तरीके नहीं पता थे फिल्म इंडस्ट्री के| कि कैसे और कहां मिला जाता है लोगों से| इसी वजह से उनके पास काम की कमी रही और यही वजह है कि ओमकार दास को आज भी अपनी जिंदगी में struggle करना पड़ रहा है| मुंबई से सटे naigaon इलाके में वह आज भी किराए का मकान लेकर रह रहे हैं और मुंबई की लोकल ट्रेन से ही उन्हें सफर करना पड़ता है लोगों से मिलने जाने के लिए|