दो सीन थे वह भी काट दिए थे बहुत बुरा लगा था आंसू भी निकल आए थे
दो सीन थे वह भी काट दिए थे बहुत बुरा लगा था आंसू भी निकल आए थे| अनुपम खेर जिन्होंने अब तक की अनगिनत फिल्में की है और हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में बहुत जाना पहचाना चेहरा है| देश-विदेश हर जगह इनकी एक्टिंग के लोग कायल हैं| कुछ role ऐसे भी हैं जिन्हें खासतौर से अनुपम खेर के लिए लिखा गया लेकिन एक वक्त था जब दर-दर भटकते थे लेकिन कोई भी role देने को तैयार नहीं होता था|
एक बड़ी फिल्म मैं अनुपम खेर को दो सीन मिले थे जिनको anupam kher ने पूरी शिद्दत के साथ किया था उन्होंने अपनी एक्टिंग के सारे जोहर दिखा डाले थे उन दो सीन में और उनका मानना था कि भले इस फिल्म में दो सीन मिले हो लेकिन यही दो सीन देख कर लोग उनकी एक्टिंग के दीवाने हो जाएंगे और उनको बहुत सारा काम मिलेगा सिर्फ इन 2 scene के बदौलत लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ क्योंकि वह जो दो सीन थे वह भी कट गए थे और सारे ख्वाब एक सेकंड में धुआं हो गए थे|
जब अनुपम खेर ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का सफर तय करने की सोची तो उस वक्त या तो फिल्में होती थी या फिर गिने-चुने टीवी सीरियल ऐसे में रोजी-रोटी चलाना बेहद मुश्किल काम था उस वक्त struggle कर रहे एक्टर्स के लिए और ऐसा ही कुछ हाल था अनुपम खेर का उनके पास भी पैसे की बहुत किल्लत थी और काम भी हाथ में नहीं था| एक काम आया भी था तो वह भी किसी मतलब का नहीं था|
दो सीन थे कुंदन शाह की फिल्म जाने भी दो यारो मैं
मशहूर डायरेक्टर स्वर्गीय कुंदन शाह की फिल्म जाने भी दो यारो मैं छोटा सा रोल मिला था अनुपम खेर को| फिल्म जाने भी दो यारो आज भी मील का पत्थर है| एक्टर्स इस फिल्म को देखते हैं सिर्फ एक्टिंग सीखने के लिए और इस फिल्म में बहुत सारे किरदार थे उसमें से एक छोटा सा किरदार अनुपम खेर को भी मिल गया था|
अब जिन लोगों ने जाने भी दो यारो देखी है वह अपने दिमाग पर बहुत जोर डाल रहे होंगे कि ऐसा कौन सा किरदार अनुपम खेर ने निभाया था जो याद नहीं आ रहा |सच्चाई तो यही है कि अनुपम खेर ने इस फिल्म में छोटा सा किरदार निभाया था सिर्फ दो सीन मिले थे उनको फिल्म में करने के लिए लेकिन रिलीज होने से कुछ दिन पहले ही अनुपम खेर जब कुंदन शाह से मिलने गए तो उन्होंने बताया कि film की लेंथ बढ़ रही थी जिसके चलते उन्होंने अनुपम खेर के वह दोनों सीन काट दिए |
इधर कुंदन शाह ने scene काटने की बात कही उधर अनुपम खेर के दिल पर कटार चल गई |कुंदन शाह से भला अनुपम खेर क्या कह सकते थे बिना कुछ कहे ही बोझिल दिल के साथ अनुपम खेर कुंदन शाह के ऑफिस से बाहर आ गए|
स्ट्रगल से भरा हुआ था शुरुआती दौर
अनुपम खेर को आज भी हर चीज याद है| अपना हर स्ट्रगल याद है| दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से पास आउट करके मुंबई चले आए थे फिल्मों में किस्मत आजमाने के लिए लेकिन यहां पर जो सबके साथ होता है वहीं anupam kher के साथ भी हुआ| शुरुआती दौर में struggle करने आए लड़के लड़कियों को अजीब अजीब बातें सुनने मिलती हैं| वैसे ही अनुपम खेर को भी सुनने मिली थी|
किसी ने एडवाइज दी कि तुम राइटर बन जाओ| किसी ने एडवाइज दी कि तुम डायरेक्शन जॉइन कर लो |किसी ने कहा प्रोडक्शन ज्वाइन कर लो| तो किसी ने कह दिया कि तुम्हारे तो बाल बहुत कम है ऐसे में तुम्हें कोई रोल नहीं देगा लेकिन अनुपम खेर अपनी जिद पर अड़े रहे उन्होंने ठान लिया था कि वह हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपना मुकाम बना कर ही रहेंगे|
28 साल की उम्र में 65 साल इंसान का किरदार निभाया
anupam kher मानते हैं कि ऊपर वाला जो करता है उसमें जरूर भलाई छुपी होती है | स्ट्रगल करते करते हैं उन्हें सारांश फिल्म ऑफर हो गई |जिसमें उन्हें 65 साल के एक लाचार बाप का किरदार निभाना था| अनुपम खेर की उम्र सिर्फ 28 साल की थी लेकिन उन्हें जो किरदार मिला था वह बेहद दमदार था और उसी role ने उनकी जिंदगी बदल दी|
film सारांश सारांश का आज भी कोई मुकाबला नहीं है और पहली फिल्म के लिए अनुपम खेर को नेशनल अवार्ड से नवाजा गया |इसी बात के लिए अनुपम खेर का मानना है कि ऊपर वाला जो करता है वह अच्छे के लिए करता है उन्हें याद आते थे जाने भी दो यारो के दो सीन जो कट गए थे| इस बात में बिलीव करते हैं कि अगर वह दो scene कर लेते तो शायद सारांश जैसे बड़ा रोल उनको ना मिलता|
अपने लंबे कैरियर में अनुपम खेर ने अलग-अलग तरह के किरदार निभाए हैं और खास बात यह है कि किरदार छोटा हो या बड़ा उन्होंने हर किसी के साथ पूरा जस्टिस किया है|