72 Hoorain ट्रेलर रिव्यू कैसा है
72 Hoorain ट्रेलर रिव्यू कैसा है क्या दिखाने की कोशिश की गई ट्रेलर में काफी समय से 72 Hoorain को लेकर बहस बाजी छिड़ी हुई थी खासतौर से न्यूज़ चैनल पर खूब हंगामे देखने मिल रहे थे बहस के दौरान न्यूज़ चैनल पर और बहस छिड़ी हुई थी 72 हूरों की/
फिल्म 72 हूरें का पहला ट्रेलर मुंबई में लांच किया गया/फिल्म का ट्रेलर देखने के बाद ऐसा लगा जैसे कि यह फिल्म भी प्रोपेगेंडा फिल्म ही बनाई गई है/ ट्रेलर से सिर्फ नफरत बरस रही है 1 वर्ग के खिलाफ/
72 हूरों का जिक्र करके यह बताने की कोशिश की गई है कि इस्लाम में कहा गया है कि बेगुनाह लोगों को कतल करो आतंक फैलाओ और जब मर जाओगे तो सीधे 72 हूरों की आगोश में आंख खोलोगे/
पहले भी कई फिल्मों में ऐसे डायलॉग सुने जा चुके हैं
फिल्म के ट्रेलर में दिखाया गया है कैसे मुस्लिम समुदाय के लोग आतंक फैला रहे हैं और उनको इंस्पायर्ड किया जा रहा है एक मौलवी द्वारा जो कह रहा है कि जिहाद करो और इस्लाम के नाम पर मर जाओ और जब मर कर ऊपर जाओगे और जब तुम्हारी आंख खुलेगी तो तुम अपने को 72 हूरों की आगोश में पाओगे/ इस तरह के डायलॉग के साथ ट्रेलर को लॉन्च किया गया है/
जिसने भी इस फिल्म पर रिसर्च किया है
बनाने से पहले उसने किसी ऐसे इस्लाम के जानकार से नॉलेज ली होगी जिसको कोई नॉलेज नहीं होगी इस्लाम कि क्योंकि 72 हूरों का जो जिक्र किया है और जिनके नाम पर आतंक फैलाकर मरने के लिए कहा गया है उसका तो कहीं जिक्र नहीं है इस्लाम में/
इस्लाम मैं साफ लिखा है कि एक भी बेगुनाह अगर तुम्हारे जरिए मर गया तो दोजक में जाओगे जन्नत में नहीं /इस्लाम में साफ कहा गया है कि जन्नत का रास्ता इतना आसान नहीं है/ जब तक अच्छे काम नहीं किया होंगे/ गुनाहों से दूर रहे होगे/ बेगुनाहों के खून से तुम्हारा दामन साफ होगा /किसी का दिल नहीं दुखाया होगा/ किसी का कर्जा नहीं लिया होगा/
अल्लाह के बताए हुए रास्ते पर चले होगे /इस तरह की तमाम बातें हैं जिन को पूरा करने के बाद ही जन्नत नसीब होगी वरना इस्लाम में साफ लिखा है कि दोजक अपना मुंह खोले खड़ी है ऐसे ही लोगों के लिए जिन्होंने बेशुमार गुनाह किए होंगे/ बेगुनाहों को मारा होगा/ यतीमो का हक खाया होगा/
यह सब चीजें फिलहाल ट्रेलर में देखने नहीं मिली और जाहिर है फिल्में भी देखने नहीं मिलेंगी क्योंकि ट्रेलर काफी हद तक फिल्म की कहानी बयान कर रहा है/ जिसमें सिर्फ नफरत परोसी जा रही है/ ऐसा लग रहा है कि एक बार फिर नफरत परोस कर पैसा इकट्ठा करने का मकसद है इस फिल्म के पीछे/
Review by Imtiaz Azim