Sam Bahadur movie review इंडिया के फर्स्ट फील्ड मार्शल
Sam Bahadur movie review इंडिया के फर्स्ट फील्ड मार्शल sam manekshaw की जिंदगी पर आधारित /फिल्म सैम बहादुर कैसी है आपको बताते हैं/ सबसे पहले बात करते हैं फिल्म की कहानी की जो की आधारित है सैम बहादुर की रियल लाइफ पर यानी की बायोग्राफी है sam manekshaw की/
फिल्म sam manekshaw में बहुत सारी खामियां नजर आई /कहानी को अच्छे से बयां नहीं कर सकी मेघना गुलजार/ sam bahadur की जिंदगी में बहुत सारी जंगे शामिल हैं और उन सभी जंग के बारे में बहुत कट शॉर्ट में दिखाया है/
किसी भी एक जंग को इस तरह से नहीं दिखा पाई मेघना गुलजार जिसमें यह साबित हो सके की sam manekshaw ने अपनी असली जिंदगी में कितनी हिम्मत के साथ जंग में शिरकत की और उन पर विजय हासिल की/ जिस तरह से इस फिल्म में sam manekshaw की जिंदगी की जंग को दिखाया गया है उससे कहीं से भी यह एस्टेब्लिश नहीं हो पाया की sam manekshaw ने कितनी बहादुरी से और कितने दिमाग के साथ जंगे लड़ी और जीती हैं/
फिल्म की कहानी ढाई घंटे की है
बावजूद इसके मेघना गुलजार फिल्म को एस्टेब्लिश करने में नाकाम साबित रही/ ऐसी फिल्मों में डायलॉग भी बहुत अच्छे होने चाहिए थे जो कि इस फिल्म से नदारद थे/
film की शुरुआत से लेकर आखिरी तक sam bahadur की जिंदगी के तमाम हसीन पलों को छुआ तो गया है लेकिन उनको एस्टेब्लिश नहीं कर पाई meghna gulzar/
ऐसा लग रहा था कि सारा ध्यान उनका सिर्फ sam bahadur की चाल ढाल और उनकी आंखों पर आधारित है क्योंकि पूरी फिल्म में इस बात पर ज्यादा जोर दिया गया है कि sam bahadur बने विकी कौशल रियल लाइफ के sam bahadur से अलग ना होने पाए और उनकी खूबसूरत आंखों को बार-बार फोकस करके उभारा जा रहा था/
Sam Bahadur movie review फिल्म के कैरेक्टर्स की बात करते हैं
फिल्म में तीन अहम किरदार हैं sam bahadur जो की विकी कौशल बने उनकी बीवी जो सानिया मल्होत्रा बनी है और तत्कालीन प्राइम मिनिस्टर श्रीमती इंदिरा गांधी जो की फातिमा सना शेख उस किरदार को निभा रही है/
विकी कौशल की एक्टिंग की जितनी तारीफ की जाए कम है उन्होंने बहुत शानदार परफॉर्मेंस दिया है शुरू से लेकर आखिरी तक फिल्म के अंदर सिर्फ मानिक शाह दिख रहे थे विकी कौशल कहीं से दिख नहीं रहे थे/ विकी कौशल ने इस बात का पूरा ध्यान रखा है कि उनकी बॉडी लैंग्वेज एक फ्रेम में भी sam bahadur की बॉडी लैंग्वेज से अलग ना होने पाए और इसमें वह कामयाब हुए हैं/
सानिया मल्होत्रा जो विकी कौशल यानी की sam bahadur की वाइफ बनी है उन्होंने भी अपना किरदार अच्छे से निभाया है लेकिन उन्हें कई जगह पर बदतमीज भी दिखाया है खासतौर से जब जिक्र होता है इंदिरा गांधी का/
फातिमा सना शेख जो कि इंदिरा गांधी का सशक्त किरदार निभा रही थी उनके किरदार के साथ तो बिल्कुल भी जस्टिस नहीं हो सका क्योंकि सभी जानते हैं कि इंदिरा गांधी अपने वक्त में बेहद खूबसूरत थी /
आखरी दम तक वह काफी एलिगेंट लगती थी /इस फिल्म में इंदिरा गांधी के किरदार के साथ बिल्कुल भी जस्टिस नहीं कर सकी मेघना गुलजार/ ऐसा लग रहा था मेघना गुलजार के दिमाग में इस फिल्म को बनाते वक्त किसी पार्टी के दबाव की बात चल रही थी/ इंदिरा गांधी को दिखाना तो लाजिमी था लेकिन उनके बारे में खुलकर कहीं से भी बात नहीं कर सकी/ आयरन लेडी कहीं जाती थी इंदिरा गांधी लेकिन इस फिल्म में उनको बस एक आइडल के तौर पर दिखाया गया है/
इंदिरा गांधी के रूप में फातिमा सना शेख का मेकअप बहुत खराब किया गया है/
इंदिरा गांधी को बहुत ही खराब रूप में पेश करने की कोशिश की गई है/ उनके चेहरे में कोई ताजगी नहीं दिखाई गई /उनका मेकअप बहुत खराब किया गया /कई जगहों पर आंखों के नीचे हल्के काले धब्बे नजर आ रहे हैं/ जबकि सभी जानते हैं कि इंदिरा गांधी हमेशा से ही बहुत खूबसूरत रही है/
indira gandhi तत्कालीन प्राइम मिनिस्टर थी और ऐसे में वह जब भी जंग के मामले में sam bahadur को फोन करती थी उस पर sam bahadur की वाइफ बनी सानिया मल्होत्रा को बहुत ही खराब ढंग से उनके बारे में बात करते दिखाया गया /
जब भी फोन बजता sanya malhotra यह कहती है कि उसी का होगा /यह लैंग्वेज एक प्राइम मिनिस्टर के लिए use करना कहीं से भी शोभा नहीं देता/
इन सब बातों को देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे मेघना गुलजार फिल्म में इंदिरा गांधी को दिखाना भी चाह रही थी लेकिन उनका असली चेहरा भी नहीं दिखाना चाह रही थी /किसी पार्टी को खुश भी रखना चाह रही थी /ऐसे में meghna gulzar से यही कहना है कि जब फिल्म बनाएं तो सिर्फ फिल्म बनाएं किसी के दबाव में या किसी पार्टी को खुश करने के लिए फिल्म ना बनाएं/ यह अपने साथ अपने प्रोफेशन के साथ धोखा करना हुआ/
रणबीर कपूर की फिल्म एनिमल के साथ sam bahadur रिलीज हुई है
यकीनन एनिमल की आंधी में इस फिल्म का टिकना बहुत मुश्किल है क्योंकि फिल्म में बहुत सारे लूप होल्स हैं/
जैसा कि सोचा जा रहा था की फर्स्ट फील्ड मार्शल sam bahadur की जिंदगी को बड़े पर्दे पर देखने में मजा आएगा लेकिन वहां पर सिर्फ निराशा हाथ लगी/ इस फिल्म को देखना वक्त को बर्बाद करना हुआ और कहीं से भी मेघना गुलजार sam bahadur की जिंदगी को बड़े पर्दे पर उतारने में कामयाब होती नहीं दिखाई दि/
इस फिल्म को बुलंद आवाज की तरफ से सिर्फ दो स्टार (2*) दिए जाते हैं/