निजामुद्दीन मरकज की मस्जिद को खोलने की इजाजत मिली, दिल्ली हाईकोर्ट ने पारित किया आदेश.
निजामुद्दीन मरकज की मस्जिद को खोलने की इजाजत मिली, दिल्ली हाईकोर्ट ने आदेश पारित करते हुए निजामुद्दीन मरकज मैं मस्जिद की चार मंजिलों को फिर से खोलने की इजाजत दे दी है.
18 मार्च को शब-ए-बारात है और शब-ए-बारात के मद्देनजर 2 साल से बंद निजामुद्दीन मरकज को फिर से खोलने की दिल्ली हाईकोर्ट ने इजाजत देते हुए और दूसरी पाबंदियां हटा दि है.जिसमें मस्जिद में आने वालों की संख्या पर जो पाबंदी थी उसको भी हटा दिया है.
मार्च 2020 में कोविड-19की महामारी कि जब पहली लहर आई थी, तभी जमात का आयोजन करने की वजह से निजामुद्दीन मरकज का परिसर बंद कर दिया गया था और तभी से यह परिसर बंद चल रहा था.
दिल्ली पुलिस ने नमाज के लिए इजाजत दी थी.
15 मार्च को दिल्ली पुलिस ने श्रद्धालुओं के लिए नमाज पढ़ने की इजाजत दी थी परिसर में.. शब-ए-बारात के मद्देनजर दिल्ली वक्फ बोर्ड ने इल्तजा की थी की इमारत में नमाज पढ़ने के लिए इमारत को फिर से खोला जाए. बोर्ड के आवेदन पर थाना निजामुद्दीन एसएचओ ने कुछ शर्ते लगाई थी और उन शर्तों में यह भी था कि श्रद्धालुओं यानी कि नमाजियों की संख्या 100 से कम होनी चाहिए और उन्हें कोविड के प्रोटोकॉल्स के साथ ही नमाज अदा करने की इजाजत होगी.
दिल्ली पुलिस की इन शर्तों में 100 से कम संख्या की बात को लेकर जस्टिस मनोज कुमार ओहरी ने श्रद्धालुओं की संख्या सीमित करने के पीछे तथ्य पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह किसका काम था ? उन्होंने यह भी पूछा क्या कहीं लोगों की संख्या पर प्रतिबंध लगाया गया है ? संख्या पर प्रतिबंध का आदेश कहां है ? इस पर भी उन्होंने सवाल खड़ा किया.
माननीय जस्टिस मनोज कुमार ओहरी ने कहां निजामुद्दीन मरकज के प्रबंधन ने कह दिया है कि वह कोविड-19 प्रोटोकॉल्स का पूरा पालन करेंगे, तो फिर अब उनके ऊपर छोड़ देना चाहिए कि वह किस तरह से नियमों का पालन करते हैं.
अपने आदेश में अदालत ने कहा कि प्रबंधन ने कहां है कि वह सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा पालन करेंगे, मास्क लगाएंगे और जितने भी कोविड-19 के प्रोटोकॉल्स हैं उनको पूरी तरह से निभाया जाएगा.