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Dilip Kumar Indira Gandhi पर नाराज हुए

Dilip Kumar Indira Gandhi पर नाराज हुए पिता नेहरू के सामने

Dilip Kumar Indira Gandhi पर नाराज हुए पिता नेहरू के सामने/बेबाक राय और किसी से ना डरने वाली शख्सियत के मालिक थे दिलीप कुमार/ जब वह बात करने बैठते तो फिर उसूलों की बात करते फिर चाहे सामने इंदिरा गांधी क्यों न बैठी हो /वह गलत बात को बर्दाश्त नहीं करते थे/

अक्सर जवाहरलाल नेहरू दिलीप कुमार को चाय पर या फिर नाश्ते के वक्त या फिर खाने पर बुला लिया करते थे और उनके साथ काफी वक्त गुजारते थे क्योंकि पंडित जवाहरलाल नेहरू को दिलीप कुमार की काबिलियत काफी अच्छी लगती थी/ जब उनसे बात करते थे उन्हें लगता था कि वह किसी काबिल इंसान से बात कर रहे हैं /वह यह सोच कर कभी भी दिलीप कुमार को अपने घर नहीं बुलाते थे कि वह बहुत बड़े फिल्मी सितारे हैं बल्कि उनकी खूबियों की वजह से उनसे मुतासिर होकर उनसे बात करने के लिए उन्हें बुलाया करते थे/

करारा जवाब दिया था इंदिरा गांधी को

पंडित जवाहरलाल नेहरू ने एक बार दिलीप कुमार को अपने घर बुलाया चाय पर/ बातें करते हुए इंदिरा गांधी भी आकर बैठ गई/

इंदिरा गांधी जानती थी कि दिलीप कुमार हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के बहुत बड़े नायक हैं/ ऐसे में इंदिरा गांधी ने दिलीप कुमार को आड़े हाथों लेते हुए कहना शुरू किया कि वह London Paris Rome बहुत जगह जाती रहती हैं और वहां के ड्रामा और वहां की फिल्में देखती हैं/ जोकि बहुत अच्छी होती हैं लेकिन आपके हिंदुस्तानी फिल्मों में वह बात क्यों नहीं आती/

आगे और भी बातें कहते हुए इंदिरा गांधी ने दिलीप कुमार से कहा कि आपकी फिल्मों में यानी कि हिंदुस्तान की फिल्मों में हिंदुस्तानीपन क्यों नहीं आता /इसके अलावा भी इंदिरा गांधी ने बहुत कुछ दिलीप कुमार को फिल्म इंडस्ट्री की आड़ में कहा जिसको दिलीप कुमार चुपचाप सुनते रहे/

तकरीबन 12:15 मिनट तक इंदिरा गांधी दिलीप कुमार को बातें सुनाती रही/ दिलीप कुमार सुनते रहे लेकिन एक वक्त के बाद उनको लगा कि अब उनका बोलना जरूरी हो गया है और अब जब वह बोलेंगे तो उसमें कोई बदतमीजी भी नहीं होगी/

बेहद  आदब तमीज के लहजे में रहते हुए दिलीप कुमार ने गांधी को जवाब देना शुरू किया उन्होंने कहा कि आपकी बातें सही है/ हमारे यहां की फिल्में कोई मुकाबला नहीं कर सकती बाहर की फिल्मों का और जो आपने बात कही की हिंदुस्तान की फिल्मों में हिंदुस्तानीपन क्यों नजर नहीं आता/ दिलीप कुमार ने कहा कि इतनी देर से आप बात कर रही हैं और आपने हिंदुस्तानी भाषा में कोई बात नहीं की आप मुस्तकिल इंग्लिश बोल रही हैं/जब आप ही हिंदुस्तानी कल्चर को नहीं अपना रही तो फिर कैसे एक्सपेक्ट कर सकती हैं कि वह हिंदुस्तानी फिल्मों में नजर आएगा/

पंडित जवाहरलाल नेहरु चुप रहे

दिलीप कुमार ने कहा आगे कहां कि आपके पिताजी वजीरे आजम है यानी कि प्राइम मिनिस्टर है और इनके  इतने ऊंचे पद पर रहते हुए भी हमारे देश में सड़के नहीं है ढंग की /खेतों में फसलें सही नहीं उगती/ हमें बाहर के मुल्कों से मदद लेनी पड़ती है/

जिस तरह से देश को सही सड़कों की जरूरत है/ खेतों में फसलों के लिए पानी दवाइयों की जरूरत है ठीक उसी तरह से हमारी फिल्म इंडस्ट्री को भी जरूरत है खाद की /दूसरी जरूरतों को पूरा करने की/

कुछ इस अंदाज में दिलीप कुमार ने अपनी बात रखी इंदिरा गांधी कायल हो गई/ दिलीप कुमार को लगा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू को बुरा लग गया होगा उनके कहने का लेकिन थोड़ी देर चुप रहने के बाद पंडित जवाहरलाल नेहरू ने दिलीप कुमार से कहा तुम्हारी जगह हम होते तो शायद इतना पोलाइटली बात ना कर पाते/