फिल्म जलसा रिव्यू कितना दम फिल्म में आइए बताते हैं आपको, फिल्म देखने लायक है या नहीं.
फिल्म जलसा रिव्यू कितना दम है फिल्म में, फिल्म को देखना पैसा वसूल है या फिर वक्त को बर्बाद करना.
सबसे पहले बात करते हैं फिल्म जलसा की कहानी की. फिल्म की कहानी का प्लॉट एक कार एक्सीडेंट के ऊपर आधारित है, सुनने में आम सी बात लगती है लेकिन इस कार एक्सीडेंट को 2 घंटे की फिल्में तब्दील करना आसान काम नहीं था क्योंकि एक एक्सीडेंट को तमाम मोड़ देना और कहीं से भी बोरिंग नहीं लगने देना यही फिल्म की कहानी की और उसके डायरेक्शन की खासियत है. कहानी के अंदर कहानी है और हर कहानी अपनी जुबानी कहती है. फिर भी कहानी में कई ऐसे मोड़ आते हैं जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था.
कहानी तो पूरी रिवील नहीं कर सकते इसलिए कहानी के बारे में यही कहेंगे जलसा की कहानी में दम है.
बात करते हैं डायरेक्शन की
फिल्म का डायरेक्शन काफी सधा हुआ है, फिल्म के अंदर इंटरकटस काफी मायने रखते हैं, इस फिल्म के अंदर भी सींस को एक दूसरे के साथ काफी अच्छे अंदाज में जोड़ा गया है. जिससे फिल्म की कहानी बिना अपनी दिशा से भटके हुए आगे बढ़ती है.
एक्टिंग का पहलू बहुत दमदार है.
एक्टिंग कब पहलू बहुत दमदार है फिल्म जलसा में, vidya balan और शेफाली शाह ने अवॉर्ड विनिंग परफॉर्मेंस दी है.
vidya balan कि एक्टिंग किसी पावर हाउस की तरह ही है. फिल्म के अंदर अपने जेस्चर और अपनी आंखों से कई सींस को अपने नाम कर लिया.vidya balan फिल्में एक सीनियर जर्नलिस्ट का किरदार निभा रही है और दूसरी तरफ एक हैंडीकैप बच्चे की मां बनी है, दोनों ही किरदारों में vidya balan अपनी एक्टिंग से सबके जहन पर अपनी छाप छोड़ने में कामयाब हुई हैं.
शेफाली शाह जो कि chawl में रहने वाली एक आम इंसान बनी है. जो काम करती हैं vidya balan के घर पर जो कि बहुत अमीर दिखाइ गई है, उनके घर पर खाना बनाती हैं शेफाली और उनके बच्चे का पूरा ध्यान रखती हैं.शेफाली शाह ने भी बेहतरीन एक्टिंग की है फिल्म के अंदर खासतौर से उनके इमोशनल सींस दिल को छूते हैं.फिल्म में और भी कई छोटे-छोटे करैक्टरस है और हर कैरेक्टर ने अपना किरदार बखूबी निभाया है.
फिल्म में खामियां
फिल्म मैं जहां आछाइयां हैं तो वहीं पर कुछ खामियां भी हैं ,यु तो फिल्म का ड्यूरेशन 2 घंटे है बावजूद इसके कई जगह पर फिल्म काफी स्लो हो जाती है, कई जगह पर ऐसा लगता है कि सीन को जबरदस्ती घसीटा जा रहा है.
कुछ सीन ऐसे हैं जिनकी कोई जरूरत नहीं लगती है जैसे कि है जब सड़क पर जलसा चल रहा होता है उसके ट्रैफिक में vidya balan फंस जाती है, जबकि आमतौर पर मुंबई में इस तरह के किसी भी ट्रैफिक में गाड़ियां नहीं फसती है. उस सीन को काफी लंबा घसीटा गया है जोकि बोरिंग लगता है.
फिल्म मैं कोई गाना नहीं है जबकि कई सिचुएशंस ऐसी आती हैं जो कि काफी भावुक हैं, उन सिचुएशंस में बैकग्राउंड में कोई भी भावुक गाना डाला जा सकता था जो की सीन को और भावुक बनाने में मदद करता.
फिल्म की रेटिंग.
एक इमोशनल जर्नी है फिल्म जलसा जो कि आपको कई बार रोने पर मजबूर कर देगी, इस फिल्म को एक बार देखा जा सकता है.
फिल्म को 3 * (स्टार) .
रिपोर्टर फरहा.