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तब्बू गुलजार पहली मुलाकात

तब्बू गुलजार पहली मुलाकात थोड़ी देर का आमना सामना   

तब्बू गुलजार पहली मुलाकात थोड़ी देर का आमना सामना और बिना कुछ कहे ही तब्बू का उठ कर चला जाना|माना जाता है कि राइटर डायरेक्टर गुलजार साहब के चंद् करीबी लोगों में विशाल भारद्वाज रेखा भारद्वाज और तब्बू है |कोई भी मौका हो जहां पर गुलजार साहब का ताल्लुक हो | उस मौके पर tabu का होना लाजमी होता है| किसी अनजान लोगों की तरह tabu की पहली मुलाकात हुई थी गुलजार साहब से उनके घर पर|

फिल्म माचिस के लिए गुलजार एक ऐसी हीरोइन को तलाश रहे थे जिसका डीलडोल पंजाबियों जैसा हो और देखने में भी खूबसूरत हो |ऐसे में उनके जहन में तब्बू आ गई |तब्बू से उनकी पहले कभी मुलाकात नहीं हुई थी लेकिन वह जानते थे कि तब्बू शबाना आज़मी की रिश्तेदार हैं और शबाना आजमी के काफी करीबी हैं| तो उन्होंने तब्बू से मिलने के लिए शबाना आजमी को फोन किया और उनसे कहा कि वह तब्बू से मिलना चाहते हैं जहां वह चाहेंगी उनसे वहीं पर आकर मिल लेंगे|

शबाना आजमी गुलजार की यह बात सुनकर काफी नाराज हुई उन्होंने कहा कि आपको कहीं जाने की जरूरत नहीं है| आप भला क्यों जाएंगे तब्बू से मिलने के लिए |तब्बू खुद मिलने आएगी आपसे काफी डांटते हुए लहजे में शबाना आजमी ने गुलज़ार को कहा था |गुलजार को आज भी शबाना आजमी का वह लहजा याद है और उनका कहना है कि वह अक्सर शबाना आज़मी से डॉट खाया करते हैं और अब तो उनको आदत सी हो गई है|

शबाना आजमी के कहने पर tabu मिलने पहुंची gulzar से

तब्बू को आज भी याद है अपनी और गुलजार साहब की पहली मुलाकात| जब उन्हें पता चला कि गुलजार साहब उनसे मिलना चाहते हैं अपनी अगली फिल्म के लिए तो उन्हें खुशी भी थी और थोड़ी घबराहट भी थी क्योंकि तब्बू को पता था की गुलजार साहब कौन हैं|

गुलजार साहब से मिलने जब तब्बू पहुंची तो गुलजार को सर्दी जुखाम था इसलिए वो चुपचाप बैठे रहे और तब्बू भी कुछ नहीं बोली |गुलजार ने तब्बू को स्क्रिप्ट फिर माचिस की |कहा  इसको पढ़ लो tabu थोड़ा डर गई थी| उनको लगा की पूरी स्क्रिप्ट याद करके आनी पड़ेगी अगली बार और जब दूसरी मुलाकात हुई gulzar साहब से तब भी वही हाल था| ना ज्यादा गुलजार साहब बोले और ना ही तब्बू |मन ही मन लेकिन गुलजार साहब काफी इत्मीनान से थे कि जिस तरह की हीरोइन उन्हें चाहिए थी तब्बू की शक्ल में उन्हें मिल गई थी क्योंकि तब्बू की हाइट अच्छी है और देखने में भी खूबसूरत|

film माचिस की शूटिंग शुरू हुई और धीरे-धीरे तब्बू गुलजार साहब की फेवरेट होती गई| तब्बू बताती हैं कि जब भी वह अच्छा शॉट देती थी तो गुजरात साहब उनको खुशी में एक टॉफी दिया करते थे |अक्सर वह दो टॉफियां मांग लेती थी गुलजार साहब से|

जिस स्क्रिप्ट और जिस डायरेक्टर के साथ काम करने में घबरा रही थी तब्बू को उसी फिल्म के लिए नेशनल अवार्ड मिला था यानी कि माचिस के लिए तबु को नेशनल अवार्ड से नवाजा गया था|