मुर्दा परस्त लोग हैं यहां नौशाद साहब ऐसा क्यों कहते थे बॉलीवुड के बारे में
मुर्दा परस्त लोग हैं यहां नौशाद साहब ऐसा क्यों कहते थे बॉलीवुड के बारे में/बॉलीवुड के लिए बड़ा मशहूर है कि यहां पर उगते सूरज को सलाम किया जाता है/ यह सूरज कितना भी रोशनी फैला चुका हो जब ढलान पर आता है तो उसकी तरफ कोई मुड़ कर भी नहीं देखता यह सच्चाई भी बॉलीवुड में रहती है/
मशहूर संगीतकार नौशाद साहब जिन्होंने संगीत की दुनिया में बॉलीवुड को ऐसा संगीत प्रदान किया जिसका एहसान बॉलीवुड कभी भी चुका नहीं सकता उन्होंने एक से बढ़कर एक यादगार फिल्मों में अपने संगीत से उन फिल्मों को अमर बना दिया/
mughal-e-azam भी ऐसे ही एक फिल्म थी जिसका संगीत आज भी अमर है/
ऐसे मशहूर संगीतकार नौशाद साहब ने अपने एक इंटरव्यू के दौरान बॉलीवुड के लिए एक बात कही थी जो यकीनन 100 फ़ीसदी सच है/
नौशाद साहब ने बॉलीवुड के लिए कहा था और यहां पर काम करने वाले लोगों के लिए कहा था कि यह लोग मुर्दा परस्त हैं /यहां पर लोग मरने के बाद पूजे जाते हैं जीते जी उनको कोई नहीं पूछता कि वह कहां है किस हाल में है /कोई भी मदद के लिए आगे नहीं आता /जब लोग यहां मर जाते हैं तो सब लोग आ जाते हैं और उनके गुणगान करते हैं/
नौशाद साहब का कहना था कि यहां पर जब लोग मर जाते हैं तो उन्हें तमाम तरीकों से याद किया जाता है उनकी याद में प्रतिमाएं लगाई जाती है/ उनके नाम के अवॉर्ड्स दिए जाते हैं लेकिन जब वह जिंदा होते हैं तो वह किस हाल में है इसकी कोई फिक्र नहीं करता /उनके मरने के बाद सब अपना नाम कमाने के लिए उनके नाम से अपना नाम को जोड़ने के लिए आगे आ जाते हैं/इसीलिए मैं कहता हूं कि यहां पर लोग मुर्दा परस्त हैं यह अल्फाज थे संगीतकार नौशाद साहब के/
उनके इंतकाल में बॉलीवुड से गिने-चुने लोग ही पहुंचे थे
जैसा कि नौशाद साहब ने कहा था कि यहां पर यानी कि बॉलीवुड में लोग मुर्दा परस्त हैं मरने के बाद पूजते हैं लेकिन बदकिस्मती तो यह थी कि नौशाद साहब के इंतकाल पर लोग झूठे मुंह भी नहीं पहुंचे थे उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए/ जब की इतने बड़े संगीतकार जिन्होंने संगीत को एक नया आयाम दिया /बॉलीवुड के संगीत को नई पहचान दी /उनके इंतकाल पर इसी बॉलीवुड से सिर्फ गिने-चुने लोग ही पहुंचे थे जिसके लिए कहा जाएगा कि नौशाद साहब तो मरने के बाद भी किस्मत वाले नहीं रहे की यह कहा जा सके कि बॉलीवुड मुर्दा परस्त है/
संगीतकार नौशाद साहब के इंतकाल पर बॉलीवुड से सिर्फ दिलीप कुमार सायरा बानो और गोविंदा ही ऐसे चेहरे और नाम नजर आए थे जिन्होंने मुकाम बना रखा है हिंदी फिल्मों में/ दिलीप कुमार और नौशाद साहब में बहुत याद यारानाआ रहा है/ नौशाद साहब दिलीप साहब के करीबी बताते हैं कि जब तक दोनों एक दूसरे से ना मिलने दोनों को चैन नहीं आता था /दोनों की ही बैठक किसी न किसी वक्त हो जाया करती थी ज्यादातर शाम को ही दोनों मिला करते थे/ नौशाद साहब दिलीप साहब का घर भी थोड़ी दूरी पर था इसलिए दोनों एक दूसरे से मिले बिना नहीं रह पाते थे और उनके इंतकाल पर बॉलीवुड से दिलीप कुमार की पत्नी सायरा बानो और गोविंदा ही नजर आए थे बड़े नामों में/