जीनत अमान:देवानंद की बहन कोई नहीं बनना चाहता था बहुत एक्ट्रेस ने रिजेक्ट किया था हरे रामा हरे कृष्ण का रोल
जीनत अमान:देवानंद की बहन कोई नहीं बनना चाहता था बहुत एक्ट्रेस ने रिजेक्ट किया था हरे रामा हरे कृष्ण का रोल हर एक्ट्रेस देवानंद के ऑपोजिट हीरोइन बन कर आना चाहती थी |
1971 में आई फिल्म हरे रामा हरे कृष्णा जो कि जीनत अमान:देवानंद की अपने वक्त की सुपरहिट फिल्म थी इस फिल्म में देवानंद अपनी बहन के किरदार के लिए एक ऐसी शख्सियत को तलाश रहे थे जो देखने में तो हिंदुस्तानी हो लेकिन उसके हाव-भाव विदेशि हो|
बहुत सारी एक्ट्रेसेस को यह रोल ऑफर किया गया लेकिन देवानंद की बहन बनने के लिए कोई भी एक्ट्रेस तैयार नहीं थी उस वक्त क्योंकि हर एक्ट्रेस देवानंद की हीरोइन बनने के सपने देखती थी| ऐसे में बहन का रोल करना किसी भी एक्ट्रेस को उस टाइम पर उस के कैरियर के लिए भारी पड़ सकता था|
जीनत अमान ने मिस एशिया पेसिफिक खिताब जीता था
जीनत अमान ने मिस एशिया पेसिफिक खिताब जीता था और एक पार्टी के दौरान देवानंद की नजर उन पर पड़ी और जीनत अमान के केयरफ्री एटीट्यूड को देखते हुए देवानंद को लगा कि यही राइट चॉइस है हरे रामा हरे कृष्णा के किरदार के लिए|
डायरेक्टर OP Rehlan ने जीनत अमान और देवानंद की मीटिंग फिक्स करआई| जीनत अमान बताती हैं कि जब वह देवानंद से मिलने पहुंची तो उन्होंने मिनी स्कर्ट पहन रखी थी उस पर high boots पहने हुए थे और वह सिगरेट पी रही थी| उनके इस एटीट्यूट को देखकर देवानंद पूरी तरह फिदा हो गए क्योंकि यही करैक्टर चाहिए था हरे रामा हरे कृष्णा के लिए| देवानंद ने उनसे ऑडिशन के लिए कहा तो जीनत अमान ने बताया कि उनकी हिंदी बहुत अच्छी नहीं है इस पर देवानंद ने उन्हें इंग्लिश में ऑडिशन देने के लिए कह दिया|
मतलब जीनत अमान ने हरे रामा हरे कृष्णा फिल्म का ऑडिशन इंग्लिश डायलॉग बोल कर दिया था क्योंकि उनकी अपब्रिंगिंग बाहर मुल्क में ज्यादा हुई थी जिसकी वजह से उनकी हिंदी थोड़ी तंग थी|
दो रोल बहुत टफ थे जीनत अमान की जिंदगी के
जीनत अमान ने यू तो अपने फिल्मी कैरियर में हर तरह के किरदार निभाए हैं ग्रे शेड भी उन्होंने बखूबी निभाया लेकिन उनके मुताबिक दो किरदार उनकी जिंदगी के लिए बहुत टफ है| एक हरे रामा हरे कृष्णा का और दूसरा 1978 में आई सत्यम शिवम सुंदरम जिसमें उन्हें बहुत अच्छी हिंदी बोलनी थी जिसके लिए उन्हें बहुत प्रैक्टिस की जरूरत पड़ी बहुत मेहनत करनी पड़ी उस किरदार को जीने के लिए|
धर्मेंद्र के साथ उन्होंने फिल्म की थी शालीमार यह फिल्म अपने वक्त की पहली ऐसी फिल्म थी जो इंटरनेशनल प्रोडक्शन कहीं गई थी जिसमें दो लैंग्वेजेस हिंदी और इंग्लिश एक साथ shoot हो रहे थे |एक सीन हिंदी में होता था तो दूसरा वही सीन इंग्लिश में फिल्माया जाता था|
इस फिल्म को याद करके जीनत अमान काफी हंसती है कि इस फिल्म में उनके साथ धर्मेंद्र थे और दोनों ही सेट पर ट्यूशन लगाए हुए थे| ट्यूटर आता था दोनों के लिए ,धर्मेंद्र को उनके रूम में इंग्लिश सिखाता था और जीनत अमान के रूम में उनको हिंदी सिखाता था ट्यूटर|
जीनत अमान के लिए यह मायने नहीं रखता था कि उनकी अपॉजिट हीरो कौन है बल्कि वह यह देखती थी कि उनकी फिल्म का डायरेक्टर कौन है और राइटर कौन है| अपने को खुशनसीब मानती हैं कि उन्होंने जिन डायरेक्टर के साथ काम किया वह अपने वक्त के अच्छे एक्टर भी थे जिन्हें हर पहलू की जबरदस्त समझ थी जिसमें वह याद करती हैं देवानंद, राज कपूर, शम्मी कपूर, अमजद खान, मनोज कुमार, फिरोज खान और संजय खान को|