Music Composer Khayyam को जब सिक्योरिटी ने रोका
Music Composer Khayyam को जब सिक्योरिटी ने रोका/ सिक्योरिटी ने पहचानने से इनकार किया/भला कौन है जो Khayyam साहब के नाम को नहीं जानता या उनकी शख्सियत को नहीं पहचानता/ अपने वक्त के बेहतरीन म्यूजिक कंपोजर थे ख्याम साहब और उनका कंपोज किया म्यूजिक आज भी जब कानों में पड़ता है तो ऐसा लगता है कि हजारो रंग खुल गए हैं घुल गए हैं कानों में /
वही ख्याम साहब थे जब उन्हें राजेश खन्ना के घर की सिक्योरिटी ने पहचान से इनकार कर दिया था और उन्हें घर के अंदर नहीं आने दे रहे थे/ यह बड़ा ही शर्मनाक किस्सा है की ख्याम साहब जैसी शख्सियत को सिक्योरिटी पहचान नहीं सकी/ इसकी वजह यह भी है कि जो राजेश खन्ना साहब की गेट पर सिक्योरिटी खड़ी थी वह काफी यंग एज की थी और जाहिर है उसने शायद कभी Music Composer khayyam साहब को टीवी पर नहीं देखा होगा /उनका नाम ही सुना होगा इस वजह से उसने khayaam साहब को राजेश खन्ना के घर के अंदर आने से रोक दिया था/
khayaam साहब के लिए एंबर्रासिंग मोमेंट था
कोई भी known पर्सनालिटी हो और जब उसको कोई इस तरह से गेट पर रोक ले एक आम इंसान समझ कर तो जाहिर है उसके लिए काफी एंबर्रासिंग मोमेंट होता है/ ऐसे कुछ हुआ था khayyam साहब के साथ भी जब वह पहुंचे थे राजेश खन्ना साहब की डेथ पर उनके घर/ उनके आखिरी दर्शन करने के लिए/ ऐसे में जब वह घर के अंदर जाने लगे तो सिक्योरिटी गार्ड ने Music Composer khayyam साहब को अंदर आने से रोक लिया/ उसको लगा शायद यह कोई आम इंसान है जिसकी वजह से उसने इतना बड़ा इतनी बड़ी जुररत की थी/
राजेश खन्ना की डेथ पर जब khayyam उनके घर पर पहुंचे तो वहीं पर एक सीनियर journalist खड़े थे उन्होंने khayyam साहब का हाथ पकड़ लिया क्योंकि khayyam साहब काफी जैइफ हो चले थे /
ऐसे में उसे सीनियर journalist ने उनका हाथ पड़कर उन्हें अंदर तक ले जाना चाहा /जब वह दोनों गेट पर पहुंचे तो सिक्योरिटी ने khayyam साहब को अंदर लेने से इनकार कर दिया/ तब उस सीनियर journalist ने सिक्योरिटी गार्ड को डाटा और उसको समझाया कि यह कौन है और कितनी बड़ी हस्ती है/ यह सुनने के बाद ही सिक्योरिटी गार्ड ने khayyam साहब के लिए राजेश खन्ना साहब के घर का दरवाजा खोला/
घर के अंदर पहुंचते ही सामने अक्षय कुमार खड़े थे उन्होंने जैसे khayyam साहब को देखा तो फौरन ही आगे बढ़कर उनसे हाथ मिलाया/
रजिया सुल्तान और उमराव जान जैसी फिल्मों का यादगार म्यूजिक दिया था
बड़ा ही शानदार और यादगार किस्सा एक बार सुनाया था khayyam साहब ने उमराव जान और रजिया सुल्तान को लेकर/
उमराव जान जो की 1981 में रिलीज हुई थी जिसके गाने आज भी चार्टबस्टर पर राज करते हैं/ उसका म्यूजिक इतना शानदार दिया था khayyam साहब ने कि उन्हें उस साल का filmfare अवार्ड भी मिला था उमराव जान के लिए/
उमराव जान के बाद जब khayyam साहब के पास रजिया सुल्तान का म्यूजिक आया तो प्रोड्यूसर ने उनके सामने यह शर्त रख दी थी की आपको रजिया सुल्तान का म्यूजिक उमराव जान से भी ज्यादा अच्छा बनाना है /अब ऐसे में khayyam साहब के लिए तो काफी मुश्किल हो गया था क्योंकि उमराव जान का म्यूजिक तो सदियों में एक बार बनता है/ ऐसे में उसके umrao jaan सिर्फ khayyam के लिए ही नहीं बल्कि किसी और भी दूसरे म्यूजिक कंपोजर के लिए नामुमकिन था/
khayyam साहब ने उनसे यह वादा जरुर कर लिया कि वह बहुत दिल लगाकर मेहनत के साथ शानदार म्यूजिक तैयार करेंगे रजिया सुल्तान का और वैसे ही कुछ हुआ भी रजिया सुल्तान का म्यूजिक भी khayyam साहब ने बहुत शानदार दिया था लेकिन फिल्म उतनी नहीं चली जितनी की umrao jaan चली थी/ जिसकी वजह से उसके म्यूजिक पर काफी असर पड़ा क्योंकि जब फिल्म चलती है तो म्यूजिकल गाने सब चल जाते हैं और रजिया सुल्तान के साथ ऐसा नहीं हुआ था वह फिल्म उतनी नहीं चली थी जितनी की umrao jaan हिट हुई थी/
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